जगजीत सिंह 70 वें जन्मदिन पर अपने चहेतों को देंगे तोहफा

संजय कृष्ण : खिलते हुए गेहुंआ रंग पर चटख लाल रंग की टी शर्ट। कंधे से झूलता लेदर बैग। चश्मे के भीतर से झांकती आंखें और उनसे बरसता नूर। आर्या होटल के रिसेप्शन कक्ष से सटे लॉन में मुखातिब गजल के शहंशाह जगजीत सिंह। राउंड टेबल द्वारा आयोजित 23 अक्टूबर की शाम-ए-गजल के सफल कार्यक्रम का चेहरे पर इत्मीनान झलक रहा था। मुख्तसर मुलाकात में बातों का सिलसिला शुरू हुआ। बात एक दो सवालों की थी, लेकिन कई सवालों का जवाब बेहद आत्मीयता से दिया।... तो रांची दूसरी बार आए थे। कहते हैं, बीस साल पहले आया था। तब काफी सिकुड़ी-सिकुड़ी थी। अब तो काफी फैल गई है। आपने ढेरों गजलें गाई हैं, कौन सी गजल आपके दिल को छूती है? वे प्रतिप्रश्न करते हैं, अब पिता से पूछ रहे हो कि आपको कौन बेटा प्रिय है? भई, पिता के लिए उसके हर बेटे प्रिय होते हैं। और शायर? शायरों के बारे में थोड़ी चूजी हूं। जो गजल पसंद होती है, उसे आवाज देता हूं। इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। गालिब से लेकर मीर , बशीर बद्र, निदा फाजली, जावेद अख्तर, खालिद कुवैती, जिगर मुरादाबादी, पयाम सइदी तक...और भी नाम हैं...।
शास्त्रीय संगीत की तालीम और साफ जुबान को गजल गायिकी का सबसे अहम पहलू बताते हुए जगजीत सिंह कहते हैं, पिछले चालीस साल से इस क्षेत्र में हूं और तीसरी पीढ़ी को गजल सुना रहा हूं। अजब यह कि तीनों पीढिय़ां साथ-साथ भी सुनती हैं। रांची में भी शनिवार को तीनों पीढिय़ां एक साथ शाम-ए-गजल का आनंद ले रही थीं। तो एक लंबा सफर तय किया है...। अगले साल आप अपना 70 वां जन्मदिन मनाएंगे। क्या तोहफा देना चाहेंगे अपने चाहने वालों को? इसके लिए कई योजनाएं हैं। देश-दुनिया में सत्तर बेहतरीन कार्यक्रम पेश करना हैं। यह कार्यक्रम अगले साल फरवरी से शुरू हो जाएगा। सत्तर गजलों का एक एलबम भी निकालना है। चाहूंगा की रांची में भी एक आयोजन हो।    
पॉप म्यूजिक की ओर बढ़ते युवाओं के रुझान के बारे में दो टूक राय रखते हुए गजल सम्राट कहते हैं, इन्हें जो तालीम मिलेगी, वही करेंगे न! हम जो परोसेंगे, वही वे खाएंगे। इसके लिए उनसे कहीं ज्यादा हम जिम्मेदार हैं। गजल गायिकी के अपने लंबे सफर के बारे में कहते हैं, मुझे लगता है कि मैं आज भी गजल गायिकी में टिका हुआ हूं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मैंने 15-20 वर्षों तक शास्त्रीय संगीत सीखा है।
गजल सम्राट जल्द ही एक फिल्म में संगीत निर्देशन करेंगे। यह फिल्म मशहूर अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की कहानी पर फिल्म बन रही है। कहानी के नाम का उल्लेख उन्होंने नहीं किया। इधर के फिल्मी गीतों के बारे में भी वे टूक जवाब देते हैं। इस जवाब से आज के फिल्मी गीतकार कुछ सबक ले सकते हैं। सिंह कहते हैं, आज ऐसे गीत लिखे-गाए जा रहे हैं कि हॉल से बाहर आते ही दिमाग से निकल जाते हैं। ऐसे गीतों का कोई भविष्य नहीं। बातें और भी होतीं...लेकिन उनके फ्लाइट का समय हो रहा था...    

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